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जय श्री राम लिखकर आमंत्रण क्यों देते हैं By वनिता कासनियां पंजाब आमंत्रण पर जय श्री राम क्यों लिखते हैं आप जानते होंगे कि भारत देश में जब भी कोई आमंत्रण देना होता है तो उसके पहले जय श्री राम लिखा जाता है । जय श्री राम लिखने की यह परंपरा युगों से चली आ रही है । शादी ब्याह का आमंत्रण हो या भोजन का भारत में अधिकतर जगहों पर सबसे पहले जय श्री राम ही लिखा जाता है । इसके वैसे तो कई फायदे हैं लेकिन सबसे बड़ा फायदा यह है कि भगवान के नाम ने सब कुछ मंगल होता हैं । अगर आप चाहते हैं कि आपका शादी या भोजन का समारोह मंगल रहे तो आपको अमात्रांत में जय श्री राम जरूर लिखना चाहिए । रामायण में भगवान श्री राम के नाम, रूप और धाम को मंगल भगवान अमंगल हारी बताया गया है शायद यही वजह है कि भारत में आमंत्रण के ऊपर जय श्री राम लिखने की परंपरा सदियों पुरानी है । एक बात यह भी है कि व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप के कारण उसके बने बनाए कामों में भी दिक्कत आ जाती है लेकिन अगर कोई भगवान का नाम लेता है तो उसके पुराने जन्मों के कई सारे पाप एक साथ खत्म हो जाते हैं । कबीर दास जी का कहना है कि एक बार राम का नाम स्मरण करने से व्यक्ति के करोड़ों जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं । जय श्री राम बोलकर नया काम शुरू इसलिए करते हैं ताकि उसमें कोई बड़ी दिक्कत ना आए । राम भगवान के नाम का जप पुण्य करने वाले ही कर पाते हैं और पाप करने वाले नहीं । अगर आमंत्रण पर भगवान का नाम लिख दिया जाए तो इससे पापी व्यक्ति भी एक बार भगवान का नाम जरूर बोलता है जिसका पुण्य लिखने वाले को भी मिलता है जिस कारण से आमंत्रण पर के श्री राम लिखने की यह परंपरा सदियों से निभाई जाती है । आमंत्रण पत्र पर गणेश जी की तस्वीर क्यों बनाते हैं कई आमंत्रण पत्रों पर गणेश जी की तस्वीर भी बनाई जाती है । ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि गणेश जी को सभी सुुभ कामों से पहले पूजा जाता है । ऐसा क्यों किया जाता है? असल में गणेश जी को सिद्धि, विद्या और बुद्धि का दायक माना जाता है । गणेश जी का पूजन किसी काम से पहले अगर किया जाए तो वह काम जरूर पूर्ण होता है । मान्यता यह है कि शिव जी ने भगवान राम की भक्ति करके अपने सहित अपने पूरे परिवार को पूजनीय बना दिया इसलिए अगर कोई चाहता है कि उसके साथ साथ उसके परिवार का भी उद्धार हो तो उसे प्रभु श्री राम की भक्ति करनी चाहिए । शिव जी के दो पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी की पूजा होती है जिसमे से गणेश जी की पूजा हर मंगल कार्य से पहले की जाती है । शंकर जी की दो बहुएं रिद्धि और सिद्धि जिनकी पूजा बड़े बड़े योगी ध्यानी करते हैं और रिद्धि सिद्धि को पाने के लिए कठोर व्रत और तपस्या करते हैं । जय श्री राम शव यात्रा के समय क्यों कहते हैं राम नाम सत्य है राम नाम सत्य कहना शव यात्रा के समय इतना ज्यादा प्रचलित है कि हट कोई इस बात से परिचित है । जब भी भारत में कहीं शव यात्रा जा रही होती है तो लोग राम नाम सत्य है के नाते लगाते हैं । लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि भगवान श्री राम का नाम मंगलमय है और भगवान का नाम सत्य है । लोग इस पृथ्वी पर जन्म लेकर आते हैं और कुछ समय बाद मृत्यु को प्राप्त भी हो जाते हैं लेकिन भगवान का नाम कभी नहीं मिटता और जो भी भगवान का नाम लेता है उसका मंगल अवश्य होता है । यह भी पढ़ें – रुद्राक्ष वाले बाबा बोले बागेश्वर धाम के समर्थ में CategoriesRamayan, सामान्य ज्ञान रुद्राक्ष वाले बाबा बोले बागेश्वर धाम के समर्थ में नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया बागेश्वर धाम लंका को असल में हनुमान जी ने नहीं जलाया था मोक्ष पाना मुश्किल है या आसान बागेश्वर बाबा से न्यूज़ चैनलों के सीधे सवाल बगेश्वर धाम दिव्य दरबार में पत्रकार लेने आए परीक्षा बागेश्वर धाम वाले महाराज जी जिनका चर्चा पूरे विश्व में है लोकप्रिय लालच से बचने का उपाय श्रृंगी ऋषि कौन थे, श्रृंगी ऋषि एक हिरण से पैदा कैसे हुए? भगवान श्री राम को क्यों कहा जाता है धीर प्रशांत अच्छे लोगों की मृत्यु जल्दी क्यों हो जाती है ? महाभारत कथा भाग भाग का शीर्षक भाग-1 महाभारत की शुरुआत भाग-2 पांडवों का जन्म भाग-3 कौरवों का जन्म भाग-4 द्रोणाचार्य का गुरुकुल भाग-5 दुर्योधन और कर्ण की मित्रता भाग-6 पांडवों को जलाने का षड्यंत्र भाग-7 पांडव दुर्योधन से छिपकर कहां गए भाग-8 द्रोपदी का विवाह भाग-9 इंद्रप्रस्थ का निर्माण किसने किया भाग-10 जरासंध को किसने मारा भाग-11 शिशुपाल वध, भगवान ने शिशुपाल के 100 पाप क्यों क्षमा किए भाग-12 पांडव और कौरव के बीच चौसर का खेल भाग-13 पांडवों का वनवास जब शकुनी ने कपटपूर्वक चौसर खेला तब भगवान कृष्ण कहां थे भाग-14 अर्जुन और शिव जी का युद्ध, किसकी हुयी जीत भाग-15 अर्जुन की स्वर्ग यात्रा, उर्वशी द्वारा अर्जुन को श्राप भाग-16 राजा नल की कहानी – नल और दमयंती का विवाह कैसे हुआ भाग-17 राजा नल की गरीबी, कलयुग ने ईर्ष्यावश सारा राज्य छीन लिया भाग-18 राजा नल की कथा, नल ने अपना राज्य वापिस केसे जीता भाग-19 युधिस्ठिर गए तीर्थ, नारद जी ने बताया प्रयाग तीर्थ का महत्व भाग-20 अगस्त्य मुनि की कहानी, अगस्त्य मुनि ने समुंद्र केसे सुखाया भाग-21 श्रृंगी ऋषि कौन थे, श्रृंगी ऋषि एक हिरण से पैदा कैसे हुए? भाग-22 युवनाश्व राजा की कहानी जिन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया भाग-23 पांडवों की स्वर्ग यात्रा, अर्जुन से मिलने के लिए स्वर्ग गए भाग-24 नहुष कौन थे? नहुष इंद्र थे लेकिन एक श्राप के कारण अजगर बन गए भाग-25 पांडवों ने दुर्योधन को गंधर्वों से क्यों बचाया भाग-26 मुद्गल ऋषि की कहानी जो वरदान मिलने के बाद भी स्वर्ग नहीं गए भाग-27 पांडवों ने दुर्वाशा मुनि और 1000 शिष्यों को भोजन कैसे कराया भाग-28 यक्ष युधिष्ठिर संवाद, प्रश्न 1 – व्यक्ति का सच्चा साथी कौन भाग-29 महाभारत विराट पर्व – पांडवों का अज्ञातवास भाग-30 विदुर ने बताये दुष्ट लोगों के लक्षण भाग-31 भगवान श्री कृष्ण स्वयं ही शान्ति दूत बनकर आए भाग-32 महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले दुर्योधन ने क्या किया भाग-33 महाभारत के युद्ध की पूरी कथा

 जय श्री राम लिखकर आमंत्रण क्यों देते हैं


By वनिता कासनियां पंजाब


आमंत्रण पर जय श्री राम क्यों लिखते हैं

आप जानते होंगे कि भारत देश में जब भी कोई आमंत्रण देना होता है तो उसके पहले जय श्री राम लिखा जाता है । जय श्री राम लिखने की यह परंपरा युगों से चली आ रही है । शादी ब्याह का आमंत्रण हो या भोजन का भारत में अधिकतर जगहों पर सबसे पहले जय श्री राम ही लिखा जाता है ।


इसके वैसे तो कई फायदे हैं लेकिन सबसे बड़ा फायदा यह है कि भगवान के नाम ने सब कुछ मंगल होता हैं । अगर आप चाहते हैं कि आपका शादी या भोजन का समारोह मंगल रहे तो आपको अमात्रांत में जय श्री राम जरूर लिखना चाहिए ।


रामायण में भगवान श्री राम के नाम, रूप और धाम को मंगल भगवान अमंगल हारी बताया गया है शायद यही वजह है कि भारत में आमंत्रण के ऊपर जय श्री राम लिखने की परंपरा सदियों पुरानी है ।


एक बात यह भी है कि व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप के कारण उसके बने बनाए कामों में भी दिक्कत आ जाती है लेकिन अगर कोई भगवान का नाम लेता है तो उसके पुराने जन्मों के कई सारे पाप एक साथ खत्म हो जाते हैं ।



कबीर दास जी का कहना है कि एक बार राम का नाम स्मरण करने से व्यक्ति के करोड़ों जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं । जय श्री राम बोलकर नया काम शुरू इसलिए करते हैं ताकि उसमें कोई बड़ी दिक्कत ना आए ।


राम भगवान के नाम का जप पुण्य करने वाले ही कर पाते हैं और पाप करने वाले नहीं । अगर आमंत्रण पर भगवान का नाम लिख दिया जाए तो इससे पापी व्यक्ति भी एक बार भगवान का नाम जरूर बोलता है जिसका पुण्य लिखने वाले को भी मिलता है जिस कारण से आमंत्रण पर के श्री राम लिखने की यह परंपरा सदियों से निभाई जाती है ।


आमंत्रण पत्र पर गणेश जी की तस्वीर क्यों बनाते हैं

कई आमंत्रण पत्रों पर गणेश जी की तस्वीर भी बनाई जाती है । ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि गणेश जी को सभी सुुभ कामों से पहले पूजा जाता है । ऐसा क्यों किया जाता है? असल में गणेश जी को सिद्धि, विद्या और बुद्धि का दायक माना जाता है । गणेश जी का पूजन किसी काम से पहले अगर किया जाए तो वह काम जरूर पूर्ण होता है ।


मान्यता यह है कि शिव जी ने भगवान राम की भक्ति करके अपने सहित अपने पूरे परिवार को पूजनीय बना दिया इसलिए अगर कोई चाहता है कि उसके साथ साथ उसके परिवार का भी उद्धार हो तो उसे प्रभु श्री राम की भक्ति करनी चाहिए ।



शिव जी के दो पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी की पूजा होती है जिसमे से गणेश जी की पूजा हर मंगल कार्य से पहले की जाती है । शंकर जी की दो बहुएं रिद्धि और सिद्धि जिनकी पूजा बड़े बड़े योगी ध्यानी करते हैं और रिद्धि सिद्धि को पाने के लिए कठोर व्रत और तपस्या करते हैं ।

जय श्री राम


शव यात्रा के समय क्यों कहते हैं राम नाम सत्य है

राम नाम सत्य कहना शव यात्रा के समय इतना ज्यादा प्रचलित है कि हट कोई इस बात से परिचित है । जब भी भारत में कहीं शव यात्रा जा रही होती है तो लोग राम नाम सत्य है के नाते लगाते हैं । लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि भगवान श्री राम का नाम मंगलमय है और भगवान का नाम सत्य है ।


लोग इस पृथ्वी पर जन्म लेकर आते हैं और कुछ समय बाद मृत्यु को प्राप्त भी हो जाते हैं लेकिन भगवान का नाम कभी नहीं मिटता और जो भी भगवान का नाम लेता है उसका मंगल अवश्य होता है ।



यह भी पढ़ें – रुद्राक्ष वाले बाबा बोले बागेश्वर धाम के समर्थ में


CategoriesRamayan, सामान्य ज्ञान

रुद्राक्ष वाले बाबा बोले बागेश्वर धाम के समर्थ में

नारद जी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया



बागेश्वर धाम

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भगवान श्री राम को क्यों कहा जाता है धीर प्रशांत

अच्छे लोगों की मृत्यु जल्दी क्यों हो जाती है ?

महाभारत कथा

भाग भाग का शीर्षक

भाग-1 महाभारत की शुरुआत

भाग-2 पांडवों का जन्म

भाग-3 कौरवों का जन्म

भाग-4 द्रोणाचार्य का गुरुकुल

भाग-5 दुर्योधन और कर्ण की मित्रता

भाग-6 पांडवों को जलाने का षड्यंत्र

भाग-7 पांडव दुर्योधन से छिपकर कहां गए

भाग-8 द्रोपदी का विवाह

भाग-9 इंद्रप्रस्थ का निर्माण किसने किया

भाग-10 जरासंध को किसने मारा

भाग-11 शिशुपाल वध, भगवान ने शिशुपाल के 100 पाप क्यों क्षमा किए

भाग-12 पांडव और कौरव के बीच चौसर का खेल

भाग-13 पांडवों का वनवास

जब शकुनी ने कपटपूर्वक चौसर खेला तब भगवान कृष्ण कहां थे

भाग-14 अर्जुन और शिव जी का युद्ध, किसकी हुयी जीत

भाग-15 अर्जुन की स्वर्ग यात्रा, उर्वशी द्वारा अर्जुन को श्राप

भाग-16 राजा नल की कहानी – नल और दमयंती का विवाह कैसे हुआ

भाग-17 राजा नल की गरीबी, कलयुग ने ईर्ष्यावश सारा राज्य छीन लिया

भाग-18 राजा नल की कथा, नल ने अपना राज्य वापिस केसे जीता

भाग-19 युधिस्ठिर गए तीर्थ, नारद जी ने बताया प्रयाग तीर्थ का महत्व

भाग-20 अगस्त्य मुनि की कहानी, अगस्त्य मुनि ने समुंद्र केसे सुखाया

भाग-21 श्रृंगी ऋषि कौन थे, श्रृंगी ऋषि एक हिरण से पैदा कैसे हुए?

भाग-22 युवनाश्व राजा की कहानी जिन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया

भाग-23 पांडवों की स्वर्ग यात्रा, अर्जुन से मिलने के लिए स्वर्ग गए

भाग-24 नहुष कौन थे? नहुष इंद्र थे लेकिन एक श्राप के कारण अजगर बन गए

भाग-25 पांडवों ने दुर्योधन को गंधर्वों से क्यों बचाया

भाग-26 मुद्गल ऋषि की कहानी जो वरदान मिलने के बाद भी स्वर्ग नहीं गए

भाग-27 पांडवों ने दुर्वाशा मुनि और 1000 शिष्यों को भोजन कैसे कराया

भाग-28 यक्ष युधिष्ठिर संवाद, प्रश्न 1 – व्यक्ति का सच्चा साथी कौन

भाग-29 महाभारत विराट पर्व – पांडवों का अज्ञातवास

भाग-30 विदुर ने बताये दुष्ट लोगों के लक्षण

भाग-31 भगवान श्री कृष्ण स्वयं ही शान्ति दूत बनकर आए

भाग-32 महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले दुर्योधन ने क्या किया

भाग-33 महाभारत के युद्ध की पूरी कथा

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